आज की शाम

Kundan Verma Blogs, Kundan Verma

आज की शाम

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आज करने को कोई काम नहीं है,

फिर भी थोड़ी आराम नहीं है,

रात अब होने को चली है,

पर लगता है जैसे की शाम नहीं है ।

बड़ा ही अँधेरा दिखने लगा है,

आसमान में चाँद तारों का नाम नहीं है,

सोचा आज गुज़ारूं एक शाम तेरे आशियाने पर ,

पर यहाँ खिदमत का कोई इंतज़ाम नहीं है ।

ये अँधेरी शाम मुझे सलाखों में कैद करना चाहती है ,

पर किस्मत से मुझ पर कोई इल्ज़ाम नहीं है ।

डर है कहीं डर कर बैठ न जाऊँ इस अंधरे से ,

पर हौसले भी हैं और ये दिल बेजान नहीं है ।

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