ख्वाब मिला आज सिरहाने पर मुझे ,
वह ज़िद्द कर बैठा आज़माने पर मुझे ,
मैं सोया भी तो आँखें खोलकर ,
वह भेज रहा था शायद मयखाने पर मुझे।
हर बार मिला देता है एक अजनबी से मुझको ,
वह ले बैठा है निशाने पर मुझे ,
मनाता भी नहीं अगर रूठ जाऊं मैं तो ,
उसको ऐतराज़ है शायद मुस्कुराने पर मुझे।
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